11 अगस्त 2020 को Supreme Court (सुप्रीम कोर्ट) ने बड़ा निर्णय लिया गया। Supreme court extended the Hindu women's right ancestral property. सुप्रीम कोर्ट के वर्तमान निर्णय में महिलाओं को पिता की संपति में भाई की तरह बराबर का अधिकार होगा। Daughter's right to father's property 2020
न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा की अध्यक्षता वाली शीर्ष अदालत की एक पीठ ने कहा कि एक बेटी संशोधित हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम के तहत समान संपत्ति के अधिकार की हकदार है और इस कानून का पूर्वव्यापी प्रभाव होगा। न्यायमूर्ति मिश्रा ने कहा, "बेटी हमेशा अपने पूरे जीवन के लिए एक प्यारी बेटी होती है।"पीठ ने कहा कि बेटियों को पैतृक संपत्ति पर भी अधिकार होगा, भले ही हिंदू उत्तराधिकार (संशोधन) अधिनियम, 2005 के लागू होने से पहले काप्रेसेनर की मृत्यु हो गई हो। आइए जानते है पहले Supreme Court के बारे में
Supreme court (सुप्रीम कोर्ट)-
- यह भारत की सबसे उच्च न्यायिक संस्था है।
- 3 Layer में बांटी गई है और इस Layer में सबसे ऊपर है Supreme Court।
- सुप्रीम कोर्ट के निर्णय पूरे देश में लागू होते हैं सुप्रीम कोर्ट के नीचे आता है High-Court जो हर राज्य में एक होता है।
- High-Court के नीचे आता है District Court।
- संविधान के Article 124 में सुप्रीम कोर्ट का उल्लेख किया गया है।
- सुप्रीम कोर्ट ही संविधान का संरक्षक है और इसे ही संविधान की व्याख्या करने का अधिकार है।
- 28 जनवरी 1950 को भारत में सुप्रीम कोर्ट की स्थापना हुई।
Supreme court में न्यायाधीशों की संख्या-
➤ 28 जनवरी 1950
7 अन्य न्यायाधीश + 1 मुख्य न्यायाधीश
➤ वर्तमान में
33 अन्य न्यायाधीश + 1 मुख्य न्यायाधीश
* वर्तमान में मुख्य न्यायाधीश ( Chief Justice Of India ) :- शरद अरविंद बोबडे
अब आते हैं Jugdement पर जो सुर्खियों में रहा,
- 11 अगस्त 2020 को सुप्रीम कोर्ट ने पैतृक संपत्ति पर महिलाओं को मिलने वाले अधिकार पर अपना निर्णय सुनाया है।
- सुप्रीम कोर्ट ने अपना यह निर्णय हिंदू उत्तराधिकार संशोधन अधिनियम 2005 के संबंध में किया है।
- सुप्रीम कोर्ट ने इस निर्णय में महिलाओं को पैतृक संपत्ति में coparcener घोषित किया है।
- कोर्ट ने कहा है कि हिंदू महिलाओं को अपने पिता की संपत्ति में भाई के समान ही हिस्सा मिलेगा एक बेटी को अपने पिता की संपत्ति में बराबरी का अधिकार है।
- कोर्ट ने कहा कि 9 सितंबर 2005 के बाद से बेटियों को हिंदू परिवार की संपत्ति में हिस्सा मिलेगा।
» भारत में हिंदू कानून
- प्राचीन मिताक्षरा कानून से प्रेरित होकर लिखा गया हैं ।
- मिताक्षरा , याज्ञवल्क्य स्मृति पर विज्ञानेश्वर की टिका है , जिसकी रचना 11 वीं शताब्दी में हुई ।
- यह ग्रन्थ जन्म उत्तराधिकार ' ( inheritance by birth ) के सिद्धान्त के लिए प्रसिद्ध है ।
- बौद्ध , सिख , जैन , आर्य समाज , ब्रह्म समाज के अनुयायी भी इस कानून के लिए हिंदू माने जाते हैं ।
» हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम 1956 (हिन्दू विधि)
मैं संपति को दो भागों में बांटा गया हैं -
- पैतृक संपत्ति ( ancestral property )
- अर्जित संपत्ति ( acquired property )
इस कानून के तहत महिलाओं को केवल अर्जित संपति ( acquired property ) में हिस्सा दिया जाता था , पैतृक संपत्ति ( acquired property ) में नहीं ।
» हिंदू उत्तराधिकार संशोधन अधिनियम -2005
Hindu Succession (Amendment) Act 2005
- यह संशोधन 9 सितंबर 2005 लागू हुआ ।
- जिसके तहत अब बेटा और बेटी दोनों का पिता की संपूर्ण संपति पर बराबर का अधिकार होगा ।
- अर्जित संपत्ति पैतृक संपत्ति किंतु अगर पिता की मृत्यु 9 सितंबर 2005 के पहले हो चुकी है तो पैतृक संपत्ति में महिलाओं को अधिकार नहीं दिया जाता था।
वर्तमान निर्णय का प्रमुख बिंदु
- 11 अगस्त 2020 को सुप्रीम कोर्ट का निर्णय लिया गया।
- सुप्रीम कोर्ट के वर्तमान निर्णय में महिलाओं को पिता की संपति में भाई की तरह बराबर का अधिकार होगा , भले ही पिता की मृत्यु 9 सितंबर 2005 के पहले हो गई हो ।
- सुप्रीम कोर्ट के फैसले के अनुसार महिलाओं को संपत्ति में पूर्ण अधिकार दिया गया । भले ही पिता की मृत्यु 9 सितंबर 2005 के पहले हुई हो , या नहीं हुई हो।
सुप्रीम कोर्ट द्वारा महिलाओं को यह अधिकार उनके मौलिक अधिकारों की रक्षा के लिए दिया गया है। क्योंकि संविधान Article 15 यह प्रावधान करता है , कि जाति , धर्म , लिंग , जन्म स्थान , मूल वंश के आधार पर भेदभाव नहीं किया जाएगा।
परीक्षाओं में पूछे जाने वाले महत्वपूर्ण तथ्य
- संविधान मैं सुप्रीम कोर्ट का उल्लेख - Article 124
- सुप्रीम कोर्ट की स्थापना- 28 जनवरी 1950
- सुप्रीम कोर्ट में न्यायाधीशों की संख्या - 33 + 1
- हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम - 1956
- हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम प्रेरित है - मिताक्षरा कानून
- हिंदू उत्तराधिकार संशोधित अधिनियम 2005 - ( 9 सितंबर 2005 )
- संविधान Article 15 में जाति , धर्म , लिंग , जन्म स्थान , मूल वंश के आधार पर भेदभाव नहीं किया जाएगा
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